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Monday 31 December 2012

ओ भारत के नेताओं!

ओ भारत के नेताओ!

नया साल आ गया है फिर से...
बार बार आता रहा है!
पर..ये ना समझना आम लोगो!
कि...'कदम बढते जा रहे है आगे...
यकीनन पुराने ही ढर्रे पर...
हर बार, दोहराता आया है नया साल..
नई कहानी पुरानी तर्ज पर...

नई उमंगें, नए फूलों की तरह...
खिलती... मन-भावन खुशबू बिखेरती...
मन में नए संकल्प भरती...
जीवन के दु:खों को,
नेस्त नाबूत करने की..
नई  प्रतिज्ञाएं दोहराती...
फिर से उतर आएगी धरती पर...

पुरानी गलतियाँ अब...
फिर न दोहराई जाएगी...
कोई बेटी अब जबरन...
दामिनी न कहलाएगी...
दुष्टों को...उनके कुकर्मों की सजा...
मृत्यु दंड के रूप में सुनाई जाएगी...
भ्रष्टाचार को मिलेगी तड़ी पार की सजा...
भारत में राम-राज की स्थापना...
नए सिरे से की जाएगी!
अब कोई रावण फिर ना लेगा जनम...
हमारी प्यारी भारत-भूमि पर...

ओ भारत के नेताओं!....
ओ क़ानून के कर्ता-धर्ताओ!
झूठे वचनों से हमें,
भरमाते आ रहे हो बरसों से ...
विश्वास उन वचनों पर...
हम भी आँखे मूंदे...
करते आ रहे बरसों से....
गूंगे-बहरे बने रहते हो...
हाँ!..सुनते हो या मुंह खोलते हो...
सिर्फ अपने स्वार्थ के मुद्दों पर...
तुम तो अब तक न बदले...
पर अब हम बदल गए है...
नए साल को...एक बेदाग़ आइना...
बनाने पर हम भी तुले हुए है!
तुम्हे अब करने पड़ेंगे सारे काम...
वास्तव में जनता के सेवक बन कर...
बुरे कुकर्मों की तुम्हे भी मिलेगी सजा...
अगर रहना चाहो तुम इस जन्म-भूमि पर!

अब हम जाग चुके है...
नया साल...नए ही रूप में सामने होगा...
क्यों कि....
हमें अब भरोसा है सिर्फ हम पर..

8 comments:

रश्मि प्रभा... said...

अब हर दामिनी चमकेगी,गिरेगी और जला डालेगी ..........

खोरेन्द्र said...

तुम तो अब तक न बदले...
पर अब हम बदल गए है...

Aruna Kapoor said...

धन्यवाद रश्मि जी!...धन्यवाद किशोर कुमार जी!

विभा रानी श्रीवास्तव said...

पुरानी गलतियाँ अब...
फिर न दोहराई जाएगी... ??
कोई बेटी अब जबरन...
दामिनी न कहलाएगी...
दुष्टों को...उनके कुकर्मों की सजा...
मृत्यु दंड के रूप में सुनाई जाएगी... ??
??

Jyoti khare said...

वाह बहुत सही सुन्दर भाव

Vinay said...

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ... आशा है नया वर्ष न्याय वर्ष नव युग के रूप में जाना जायेगा।

ब्लॉग: गुलाबी कोंपलें - जाते रहना...

मेरा मन पंछी सा said...

आशा जगाती अति सुन्दर रचना..
आपको सहपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...
:-)

हरकीरत ' हीर' said...

तुम हारी नहीं दामिनी,देख खड़ी हैं यहाँ कई दमिनियाँ
लडेंगी ये तुम्हारी खातिर न बनने देंगी और कहानियाँ