a href="http://hindiblogs.charchaa.org" target="_blank">हिंदी चिट्ठा संकलक

Saturday 18 September 2010

फ़िल्मी हस्तियों की नजर है...इस 'उपन्यास' पर!

आप की प्रेरणा और शुभेच्छाएँ...मेरी अमूल्य निधि!
यहाँ बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरे उपन्यास..'उनकी नजर है..हम पर...' को पसंद करनें वालों की तादाद बढती जा रही है!....हिन्दयुग्म के प्रकाशक भी इसकी बिक्री को ले कर बहुत संतुष्ट है!...मैं समझती हूँ कि आप सभी की दिली शुभेच्छाओं के फल स्वरुप ही यह संभव हो पाया है!...

...आए दिन मुझे ई-मेल , फोन और पत्रों द्वारा बधाइयां मिल रही है!...उन सब को मैं तहे दिल से धन्यवाद कहना चाहती हूं!... मैंने निजी तौर पर भी सभी को धन्यवाद भेजा है!

...यहां ख़ास तौर पर बताना चाहूंगी कि एक जानी-मानी फ़िल्मी हस्ती ने भी यह उपन्यास पढ़ कर...इसके बारे में अच्छा कोमेंट दिया है... उपन्यास के कवर पेज पर मेरा फोन नंबर है...उन्हों ने ही मुझे फोन किया....कहा कि उन्हें कहानी बहुत पसंद आई!... विज्ञान कथा पर आधारित फिल्में वे बना चुके है और ऐसी ही विज्ञान कथा पर आधारित कहानी की उन्हें तलाश थी...अगर प्रोग्राम सही बैठता है तो वे जल्दी ही आगे की बात-चित के लिए मुझे मुंबई बुलाएंगे या खुद दिल्ली आएंगे!....

.....अगर इस उपन्यास पर फिल्म बन जाती है ....तो आप सभी के लिए सुखद समाचार है!....क्यों कि आप के ब्लॉग्स पढ़ कर ही मुझे यह उपन्यास लिखनेकी प्रेरणा मिलती गई ...और मैं लिखती चली गई!....यहां सभी का योगदान है!,,,,फिर एक बार मैं आपकी भेजी हुई शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद कहना चाहूंगी, जो हंमेशा के लिए मेरे साथ है!

Wednesday 1 September 2010

उनकी नजर है, हमपर ...के बारे में.....











उपन्यास' उनकी नज़र, है हम पर ' का लोकार्पण!

यह मेरा पहला उपन्यास है!..प्रकाशक है श्री.शैलेश भारतवासी!... हिन्दयुग्म प्रकाशन के सहयोग से ....११ अगस्त २०१० के रोज इसका लोकार्पण हुआ है!....संसद सदस्य और साहित्यिक माननीय श्री. सत्यव्रत चतुर्वेदी जी ने लोकार्पण किया था!...आयोजक थी श्रीमती मधु चतुर्वेदी... जिनका काव्य-संग्रह 'मधुपर्क ' हाल ही में प्रकाशित हुआ है!

यह मंगल से पृथ्वी पर आने वाले दो परग्रहियों की कहानी है! ....ये दोनों वैज्ञानिक है!....पृथ्वी पर आते ही इनके शरीर के अणु बिखरने शुरू हो जाते है है!... अपने बचाव के लिए फैंगार नामक वैज्ञानिक नाग बन जाता है...और चापेन नामक वैज्ञानिक 'डॉग' बन जता है!.... कैसे?...यह मनोरंजक किस्सा है!

...अमर और अकबर दो बच्चे है...जो १४-१५ आयु वर्ग के है ...मुंबई में रह रहे है...इनका पीछा करता हुआ 'नाग' 'हैदराबाद ' पहुँच जाता है..... और जब यह दोनों श्रीहरिकोटा -स्पेस सेंटर पर पहुँच जाते है तब इन्हें वहां ' डॉग ' मिल जाता है!.... और दो परग्रही इस उपन्यास में कहर ढहा रहे है!...त्रासा और तबाही!

...पूरी कहानी यहाँ बताना संभव नही है!...यह एक बाल उपन्यास है और सभी आयुवर्ग के लिए मनोरंजक है!.... इसकी समीक्षा आप अगर करना चाहे तो मेरे ई-मेल पर संपर्क कर सकतें है!...इससे मुझे अत्यंत ख़ुशी होगी!
पहले मुझे लगा था की इस उपन्यास के बारेमें यहाँ बताना ,विज्ञापन देना गिना जाएगा ..लेकिन कुछ साथी ब्लोगर्स के आग्रह पर मैं यहाँ जानकारी देने की घृष्टता कर रही हूँ!