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Monday, 10 December 2012

मत डालो पानी..उलटे घड़े पर...

मत डालो पानी..उलटे घड़े पर...

"यकीनन किस्मत ही खराब है मेरी...
भगवान भी शायद सुनता नहीं है मेरी...
कितनी मेहनत की मैंने....
क्या मिला फल मुझे...
जवानी गुजर गई मेरी....
इस कुँए से पानी निकालकर...
घड़ा भरने की कोशिश कर रहा हूँ मैं...
रस्सी भी अब घीस घीस कर...
हो गई है कमजोर....
हाथ भी मेरे घीस घीस कर...
हो गए है कमजोर..."

"कई आए मेरे बाद भी...
घड़े पानी से भरकर...
अपनी प्यास बुझा कर...
घड़े भरे हुए निर्मल जल से...
उठा कर हँसतें हुए...चले गए अपनी राह...
पर मैं रह गया...
प्यासा का प्यासा...
मेरा घड़ा अब तक ना भर पाया..."

कि भगवान आए अचानक...
एक जटाधारी साधु के भेष में...
और कहकहा लगाया पूर जोश में...
फिर थोड़ा पास आए....बोले...

"ऐ...घड़े वाले वीर पुरुष!
इतने एकाग्र चित्त हो कर...
कौन सा कर रहा है काम?
समय की सुध भी नहीं है तुझे ......
तेरे जीवन की हो चली है शाम!"

बोला...घड़े वाला वीर पुरुष....
" चाहता हूँ...बाबा!
घड़ा भर जाए तो....
पी..लू..थोडासा पानी...
बचा हुआ ले जाऊं अपने घर...
पर ना भरता है घड़ा ...
न मिलता है पानी...
जीवन झोंक दिया मैंने...
करता रहा मेहनत दिन रात...
अब आ गया बुढापा...बीत गई जवानी.."

बोले जटाधारी "सुन ऐ वीर पुरुष...
मेहनत भी करो, तो करो अकलमंदी से...
वरना कुछ हासिल ना होने पर...
शिकायत करते रह जाओगे...
किस्मत से..या फिर भगवान से..."

"अरे वीर पुरुष! ....
जरासा भी ध्यान दिया होता...
अब तक प्यास बुझा कर...
घड़ा पानी से लबालब भर कर...
तू यहाँ से दूर निकल गया होता...
अरे!..जब जब तूं डालता है घड़े में पानी...
आँखे क्या बंद है तेरी?
ऐ मूर्ख!...क्या नहीं जानता तूं?...
उलटे घड़े पर डाल रहा है पानी!
अकल से काम लिया होता तो...
मेहनत तेरी रंग लाती...
ना बुढापा खराब हुआ होता...
ना जवानी तेरी रोती!"

अब सिर उठा कर देखा...
घड़े वाले वीर पुरुष ने...
वह उलटे घड़े पर डाल रहा था पानी...

ऐसा ही होता है...
बहुतों के जीवनी का सार...
मेहनत तो वे बहुत करते है....
लेकिन ध्यान न देनेसे...
मेहनत हो जाती है बेकार...
मेहनत अगर करो..अकलमंदी से करो...
अगर पानी से भरना है खाली घड़ा...
पहले उसे सीधा तो करो!

4 comments:

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
Unknown said...

सही दिशा में न हो तो, मेहनत है बेकाम ।
किस्मत का रोना रोते, कुछ न बनता काम ।।

आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (19-12-12) के चर्चा मंच पर भी है | अवश्य पधारें |सूचनार्थ |

Unknown said...

आपका लोग यहाँ शामिल किया है ।
जरुर पधारें और फोलो करें ।
ब्लॉग"दीप"

वीना श्रीवास्तव said...

बिना सोचे समझे करने से कुछ हासिल नहीं होता...
अच्छी रचना.....