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Sunday 16 December 2012

जय हिंदी, जय भारत!

जय हिंदी, जय भारत!


मेरी मातृभाषा हिंदी नहीं है...भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती है, सभी भारत निवासियों की मातृभाषा हिंदी तो हो नहीं सकती!...लेकिन हम भारतीय है, हमारे बीच एकता का होना बहुत जरूरी है..इसके लिए संपर्क सूत्र भी एक ही होना चाहिए......हिंदी का प्रचार और प्रसार सबसे अधिक है!...हिंदी भाषियों की संख्या भी भारत में सर्वाधिक है!..यह हिंदी यू.पी.की, एम.पी. की,राजस्थान की, हरियाणा की भी है!...अब हिंदी फिल्मों के बहुत बड़े योगदान से हिंदी...मराठी, गुजराती, तामिल, बंगाली इत्यादि भाषाओं को भी अपने साथ मिला चुकी है!... इसी वजह से यह एक मजबूत सूत्र है!...तो क्यों न इसी मजबूत सूत्र को थाम कर भारत की एकता बनाएं रखे?....और हिंदी का ज्यादासे ज्यादा प्रयोग बोल-भाषा एवं लेखन कार्य के लिए करें?...इससे विदेशों में भी हम अपनी अलग पहचान बना सकतें है!

5 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

राष्ट्रभाषा हिन्दी की ओर प्रेरित करता बढ़िया लघुआलेख!

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत ख़ूब!
आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 17-12-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1096 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

Aruna Kapoor said...

धन्यवाद,डॉ.शास्त्री!...जैसे कन्हैयाने गोवर्धन पर्वत उठाया था; हम सब हिंदी लेखकों ने मिल कर ही हिंदी को विश्व में उच्च स्थान दिलवाने में...अपनी कलम की ताकत लगा कर, योगदान देना है!....आभार!

Aruna Kapoor said...

धन्यवाद चंद्र भूषण जी!...कि अपनी हिंदी को अर्पित यह लेख, सभी हिंदी लेखकों तक पहुंचाने का प्रशंसनीय कार्य आपने किया है!

Shivam Mishra said...

Nice Post:- HindiSocial