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Saturday 24 May 2008

आंसू बहा रहे है बार बार

आंसू बहा रहे है, बार-बार!


क्या सोचा तुमने कि ...
इस जहाँ से चले गए हम?
एक ऐसी जगह पहुँच गए कि...
वापसी ना होगी, इस जनम?
शक्ल हमारी ना देखोगी कभी...
...और रिश्ते भी हो गए ख़तम?

आमना सामना कैसे होगा भला...
जब राख बन चुके तुम्हारे सनम ?
बिना वक्त गंवाएं तुमने....
थाम भी लिया किसी और का दामन ?
...और मिटा डाला प्यार और दोस्तीका,
हमारा या अपना भरम?


लेकिन जो तुमने समझा था...
...तुम्हारी आंखों का धोखा था यार!
मेहरबानी उस उपरवाले की ...कि,
हम नहीं हुए, हादसे के शिकार!
मौत के मुंह से वापस लाया शायद,
हमें हमारा सच्चा प्यार!

...पर अब दुबारा मर गए हम...
जब कि ख़तम हुआ इंतजार!
दिल को तुम्हारी बेवफाई ने,
आज कर दिया, तार-तार!
अपने जिंदा रहने के ग़म में,
आज आंसू बहा रहे हम; बार-बार!