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Tuesday 5 February 2013

वाह, वाह!...क्या कहने!

वाह, वाह!..क्या कहने!

कल ही का वाकया सुनाते है दोस्तों!
एक हिंदी काव्य प्रतियोगिता पर नजर पडी!
प्रतियोगिता का परिणाम आ चुका था;
मन में उत्सुकता पैदा होती जान पडी!

हम बढते गए आगे आगे...
'विनरों' के नाम थे अनजाने...
'सांत्वना' से भी नवाजित थे जो...
उनमें भी नजर न आए अपने,जाने-माने! 

प्रथम 'विनर' ले गया था..
रूपये 25 हजार की 'बिग' राशी...
20 हजार ले गया था..
द्वितीय क्रमांक का प्रत्याशी!
और मात्र 15  हजार में बनाया था..
तीसरे नंबर वाले को संतोषी!
दोस्तों!.. इस प्रकार से हुई थी यहाँ...
अच्छे कवियों की ताज-पोशी!

'विनरों' की कविताएँ पढ़ने से...
हम रोक न सके अपने आपको...
एक के बाद एक पढते चले गए....
उस दिन नींद भी न आई हमें रात को!

यहाँ ब्लॉगर्स डॉट कॉम पर....
आएं दिन पढते है हम सुन्दर कविताएँ..
कुछ कवि''दोस्त' तो बड़ी ही कुशलता से ...
सामने रखते है अपनी भावनाएं...

कैसी हार-जीत?..कौन आगे..कौन पीछे, 
वे तो पेश करते रहतें है नई नई रचनाएँ...
उन 'विनर्स' से तुलना करें तो...
बहुत आगे है यहाँ की प्रतिभाएं!

ऐसा ही होता आया है सदियों से,
हकदारों को मिलता नहीं सम्मान!
अयोग्य बटोर लेते है प्रशंसा...
शायद यही है,विधी का लिखा विधान!