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Monday, 3 March 2008

मिला..जो हमें चाहिए था!

मिला..जो हमें चाहिए था!

आख़िर हम पहुँच ही गए वहां,
जहाँ हमें पहले ही पहुँच जाना चाहिए था!
इधर-उधर भटकने के आदि जो ठहरे,
आख़िर वही हुआ हमारे साथ यारों!
जो होना ही चाहिए था!

कई फूलों से की... हमने छेड़छाड़!
जो हमें बिलकुल ही रास आई नहीं,
क्या करते मन जो ठहरता नही था कहीं...
भटकता रहता था इधर, उधर....
उसे तो खास ठिकाना चाहिए था!

देशी-विदेशी फूलों से मन को भरना चाहा,
कमी नज़र आई हमें
..यारों!.. हर एक फूल में...
भटकते हुए अब आए...
लाल नाजुक से गुलाब के पास तो,
लगा हमें ऐसा ही तो कुछ चाहिए था!

हमने हाथ में लिया..
खूब टटोला उस फूल को,
सीने से, गले से..
और अपने हर अंग से लगाया...
हमसे लिया उसने बहुत कुछ.. 
बदले में हमें भी उसने...
वह सबकुछ दिया...
जो हमें इसी जीवन-यात्रा में चाहिए था!

सच्चे प्यार की तलाश थी...
इमानदार और नेक दिल की तलाश थी...
एक आम इंसान ही तो थे हम ...
हमें तो आम से साथी की ही तलाश थी...
कहते है खुदा भी मिल जाता है..
जरुरत ढूँढने की होती है....
हमें जीवन-साथी मिल गया..
यारों!जैसा कि हमें चाहिए था!


2 comments:

Asha Joglekar said...

जो चहिये था वह मिल गया जीत लिया आपने तो इस जग और जिंदगी को भी । सुंदर प्रस्तुति । अरुणा जी मै आप को बहुत मिस करती हूँ अपने ब्लॉग पर ।

Dr.NISHA MAHARANA said...

कहते है खुदा भी मिल जाता है..
जरुरत ढूँढने की होती है....
sacchi bat...