' थैंक गॉड!' ...कि बारिश में भीगे थे हम!
उस दिन जब बारिश हुई...जम कर!
हम भीग गए..गौड़!..ये कैसा दिन आया!
तुमसे मिलने जब आ ही रहे थे,
कि बरसा ऐसा पानी...मानो प्रलय आ गया...
रुक गए हम एक वृक्ष के तले और...
वहीं हमारा पाँव फिसलता चला गया...
हम चले गए ऐसे फिसलते, फिसलते...
रुके जब कि तुम्हारा आंगन आया!
'थैंक गौड़!' हमारे मुंह से निकला ही था कि,
हमारे कानों से तुम्हारी मीठी आवाज टकराई...
' अब क्या आएगा वह घन-चक्कर!
अच्छा हुआ कि इतनी तेज बारिश आई...'
फिर हमारे दोस्त का ज़ोरदार ठहाका...
' बह निकला होगा बेचारा!..पानी के रेले के साथ....
थैंक गौड़!... कि आज मैं हूँ तुम्हारे साथ!'
हाय!..मेरे हाथों मैं...ये तुम्हारा नाजुक हाथ!
कानोंसे सुना...और कान बंद कर लिए हमने!
..और सजनी की ऊपर-निचे होती साँसों कि आहट!
महसूस की और ... हंमेशा,हंमेशा के लिए...
दिल के दरवाज़े बंद कर लिए हमने!
....फिर एक बार! 'थैंक गौड़' कहकर,
चल पडे अपने रास्ते हम!
अब थम गई थी तेज बारिश,
फिसलने का अब न था कोई ग़म!
उस दिन जब बारिश हुई...जम कर!
हम भीग गए..गौड़!..ये कैसा दिन आया!
तुमसे मिलने जब आ ही रहे थे,
कि बरसा ऐसा पानी...मानो प्रलय आ गया...
रुक गए हम एक वृक्ष के तले और...
वहीं हमारा पाँव फिसलता चला गया...
हम चले गए ऐसे फिसलते, फिसलते...
रुके जब कि तुम्हारा आंगन आया!
'थैंक गौड़!' हमारे मुंह से निकला ही था कि,
हमारे कानों से तुम्हारी मीठी आवाज टकराई...
' अब क्या आएगा वह घन-चक्कर!
अच्छा हुआ कि इतनी तेज बारिश आई...'
फिर हमारे दोस्त का ज़ोरदार ठहाका...
' बह निकला होगा बेचारा!..पानी के रेले के साथ....
थैंक गौड़!... कि आज मैं हूँ तुम्हारे साथ!'
हाय!..मेरे हाथों मैं...ये तुम्हारा नाजुक हाथ!
कानोंसे सुना...और कान बंद कर लिए हमने!
..और सजनी की ऊपर-निचे होती साँसों कि आहट!
महसूस की और ... हंमेशा,हंमेशा के लिए...
दिल के दरवाज़े बंद कर लिए हमने!
....फिर एक बार! 'थैंक गौड़' कहकर,
चल पडे अपने रास्ते हम!
अब थम गई थी तेज बारिश,
फिसलने का अब न था कोई ग़म!
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