...इंतज़ार था मुझे!
सबकुछ तो था पास मेरे,
एक ज़माना ऐसा भी गुज़रा इधरसे....
मस्तानी शामें और....
उनींदी रातें कट रही थी....
सुनहरें सपनों के संग...
सुबह की रोशनी का ही तो....
इंतज़ार था मुझे!
शाम ढलते ही....
आ जाती थी शबनम,
दबे पांव आ कर...
बैठ जाती थी पहलू में...
कभी उसका हंसता....
मासूमियत भरा चेहरा,
अपने चेहरे से सटाने का ही तो.....
इंतजार था मुझे!
एक रंगीन शाम ऐसी भी आई,
शबनम के गुलाबी...
दमकते होठों की सुर्खियां...
करने ही वाली थी...
मेरी शाम को और रंगीन,
बेचैनियों के खत्म होने का ही तो...
इंतज़ार था मुझे!
शबनम ने अचानक आग बनकर,
अंगारे बरसा कर....
इतना जलाया कि....
मैं जिंदा रहा...
मर कर भी....
क्यों कि....
शबनम को फिर से पाने का ही तो....
इंतज़ार था मुझे!
सबकुछ तो था पास मेरे,
एक ज़माना ऐसा भी गुज़रा इधरसे....
मस्तानी शामें और....
उनींदी रातें कट रही थी....
सुनहरें सपनों के संग...
सुबह की रोशनी का ही तो....
इंतज़ार था मुझे!
शाम ढलते ही....
आ जाती थी शबनम,
दबे पांव आ कर...
बैठ जाती थी पहलू में...
कभी उसका हंसता....
मासूमियत भरा चेहरा,
अपने चेहरे से सटाने का ही तो.....
इंतजार था मुझे!
एक रंगीन शाम ऐसी भी आई,
शबनम के गुलाबी...
दमकते होठों की सुर्खियां...
करने ही वाली थी...
मेरी शाम को और रंगीन,
बेचैनियों के खत्म होने का ही तो...
इंतज़ार था मुझे!
शबनम ने अचानक आग बनकर,
अंगारे बरसा कर....
इतना जलाया कि....
मैं जिंदा रहा...
मर कर भी....
क्यों कि....
शबनम को फिर से पाने का ही तो....
इंतज़ार था मुझे!
2 comments:
hi
good thoughts arranged in a cute manner.... so happy to read this....keep going
read my blog at http://confession-of-a-lover.blogspot.com and comment to accompany you, the people who lives in the world of magical letters
thanks
Confession of a lover...ek umada kavita sangrah hai!
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