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Wednesday, 9 January 2008

तुम बेवफा हो...हम नहीं मानते!

तुम बेवफा हो...
...हम नहीं मानते!


तुम्हारी बिल्ली आँखे ,
हमारी काली आंखों से,

क्या छिपा रही है और...
क्या कह रही है ये,
तौबा! हम नहीं जानते....


हमारी काली आँखे भी,
कुछ कह रही है तुमसे...
तलब कर रही है तुमसे,
ये बात ...ओह दिलबर!
तुम क्यों नही मानते ...



कल शाम का वादा ,
हमसे मिलनेका वादा,
भूला दिया तुमने...

क्यों भूला दिया ?
ये हम नहीं जानते...


बेवफा हो तुम,
कह रही है दुनिया...
कह रहे है दोस्त,
दिल मना रहा है जालिम!
पर हम नहीं मानते...


मिलनेका वादा,
हमसे किया था तुमने...
और... किसी और से,
गई थी मिलने तुम....
क्या ये हम नहीं जानते?


वो दोस्त ही था हमारा...
हमने देख लिया था पर,
हमे प्यार है तुमसे...
इसीलिए तो यार मेरे!
हम तुम्हें बेवफा नहीं मानते ...

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