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Monday, 23 April 2012

खुद अपने आप से है बेखबर...हमलोग!

काश!..अपनी भी खबर लें...हमलोग!

हंमेशा दूसरों की खोज खबर लेने में....
लिप्त रहते है हम लोग....
उसने क्या पहना, क्या खाया..
वह कहाँ गया...कब आया...
उसने ये कहा...उसने ये किया....
सब जानकारी रखतें है हमलोग!

वह बहुत अच्छा है....मिलनसार है....
कमाल का व्यक्तित्व है उसका....
हंमेशा मदद करता आया है वह...और
उसकी प्रशंसा के बड़े बड़े पूल....
खुश हो कर बांध देते है हम लोग....

लेकिन भूल जाते है हरदम....
अपने गुणों को जानना....
अपने प्रशंसनीय कार्यों को पहचानना....
अपनी खुद की पीठ थपथपाना....
ऐसा क्यों करते है हम लोग?

उपहार देते है हम दूसरों को....
दूसरे भी देते है हमें....
लेकिन कभी..अपने आप से खुश हो कर...
अपने आप को सुन्दरसा उपहार....
क्यों नहीं देते हम लोग?

कुदरत ने बनाई है सुन्दर चीजें....
उनमें से मैं भी हूँ एक...
मदद मैंने भी की है बहुतोंकी...कईबार...
मैं भी हूँ भला, साफ़ दिल का और नेक...
...पर अपने पर दो मीठे शब्द.....
..कहाँ खर्च करते है हमलोग!

दूसरों की पसंद- नापसंद की चिंता...
दूसरों की सेहत का भारी ख़याल...
दूसरों की दुनिया बसाने का सपना...
दूसरों को खुश रखने की दिली ख्वाहिश..
क्या सिर्फ दूसरों के लिए जी रहे है हमलोग?

अपने लिए भी...कुछ कर गुजरना....
बेशक फर्ज है हमारा....
अपने मन को खुश रखना...
अपनी सेहत का ध्यान रखना...
अपने आप से प्यार करना...कर्तव्य है हमारा!
काश!.. इतनी सी बात अगर समझ सकें हमलोग!



20 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

बिलकुल सच कहा आपने...............

यदि हम खुद अपनी परवाह करेंगे...खुद को चाहेंगे...तो हमारा आत्मविश्वास बना रहेगा....और दूसरे भी हमारी कद्र करेंगे....

बहुत सुंदर रचना अरुणा जी...

सादर.

रविकर said...

प्रेरक-

आभार दीदी ।।



जिम्मेदारी के तले, ऐसे गए दबाय ।

बेसुध की यह बेखुदी, कर ना पाई हाय ।

कर ना पाई हाय, गधे सा खटता रहता ।

उनको रहा सराह, उन्हीं की गाथा कहता ।

खुद को ले पहचान, होय खुद का आभारी ।

कर खुद की तारीफ़, उठा ले जिम्मेदारी ।।

रश्मि प्रभा... said...

इसी में दिन रात .... तो चैन ही नहीं . बहुत सही कहा आपने

shikha varshney said...

इतनी सी बात ही तो कोई नहीं समझता.
सुन्दर बात लिखी आपने.

sangita said...

सुन्दर सधे शब्दों की माला ,खुद की चाहत ही है यह जो की हम ऐसे हैं।

संजय भास्‍कर said...

उसने ये कहा...उसने ये किया....
सब जानकारी रखतें है हमलोग!
वाह! बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! ख़ूबसूरत प्रस्तुती!

मनोज कुमार said...

सच को पाने की राह अपने अंदर झांकने से ही शुरू होती है।

सुशील कुमार जोशी said...

अच्छा है पर
पड़ेगा बताना
आपने कैसे पह्चाना
ऎसे ही हैं हम लोग?

vijay kumar sappatti said...

बहुत ही सुन्दर बात कही आपने , अपनी खबर तो लेना ही होंगा. तबिः हम दूसरों के बारे में सोच सकते है .

Bharat Bhushan said...

आत्मनिरीक्षण और आत्मनिर्धारण से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति सुखी होता है. इसमें समाज (लोगों) की भूमिका स्वतः ही लिखी होती है. सुंदर रचना.

Saras said...

शायद हम इस इंतज़ार में रह जाते हैं ...की शायद कोई और वह सब कुछ करे जो हम करते हैं ......!!!!

रविकर said...

आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
बुधवारीय चर्चा-मंच
पर है |

charchamanch.blogspot.com

Aruna Kapoor said...

धन्यवाद रविकर जी!...बहुत अच्छा लग रहा है!

M VERMA said...

लेकिन भूल जाते है हरदम....
अपने गुणों को जानना....
शायद यह मुश्किल भी है ..

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

kya baat hai!!!

सदा said...

बहुत ही प्रेरणात्‍मक अभिव्‍यक्ति है आपकी .. सबकी फिक्र है बस खुद का ही ख्‍याल नहीं ... आभार ।

Dr Xitija Singh said...

अपने लिए भी...कुछ कर गुजरना....
बेशक फर्ज है हमारा....
अपने मन को खुश रखना...
अपनी सेहत का ध्यान रखना...
अपने आप से प्यार करना...कर्तव्य है हमारा!
काश!.. इतनी सी बात अगर समझ सकें हमलोग!
.....
बहुत सुंदर रचना....

Asha Joglekar said...

सच कहा जो अपने से खुश है वही दूसरों सेभी खुश है वरना तो दिखावा है ।

आपकी कलम सलामत रहे और रचनाएं झर जर बहती रहें ।

Neeta Mehrotra said...

बहुत सुन्दर प्रेरणा दायक रचना ... अरूणा जी .

Neeta Mehrotra said...

बहुत सुन्दर प्रेरणा दायक रचना ... अरूणा जी .