लिखतें है वे भी...लिखतें है हम भी...
अब वे टिम-टिम नही, ट्विट-ट्विट करते है...
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है!
हिंदी फिल्मों में अभिनय करते है, तो क्या हुआ?
भारत में भी रहते है...तो क्या हुआ?
विदेशों की सैर..फिल्म की शूटिंग के बहाने ही सही....
करते है..तो क्या हुआ?
यह तो देश का गौरव है,और इसीलिए वे ...
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है !
भारत देश प्यारा है उन्हें भी...
देश-प्रेम की कहानियाँ, रुपहले परदे पर....
हिंदी का दामन थाम कर....
इंग्लिश धुन में गा-बजा कर...
पेश करतें है वे, सोच समझ कर... और इसीलिए
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है!
कुछ सितारे यहाँ आए ...परदेश से...
हिंदी की स्वादिष्ट रोटी,खाने के इरादे से....
हिंदी भाषा का अल्प ज्ञान समेटे ....
देखिएं !..हिंदी फ़िल्में हिट करते है ये...
टूटी फूटी हिंदी में...बतियाते है ये...फिर भी...
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है!
महा धुरंधर, पुराने.....कलाकार मंजे हुए...
भारत और विदेशों में...प्रसिद्धि पाए हुए...
हिंदी कविताएँ..रचतें और पढ़तें हुए...
बचपन और जवानी गुजर गई जिनकी...
हिंदी भाषा की धुल-मिटटी में खेलतें हुए...वे भी
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है....
आप और हम ....तारे है जमीं के...
यहीं पर जन्मे हम...वारिस है हम भारत भूमि के...
हम लिखते है, पढ़तें है...कायल है हिंदी भाषा के...
करतें है आदर ....इंग्लिश भाषा का हम भी ....
पर ऐसा काम हरगिज नहीं करतें... कि
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है !
Friday, 23 July 2010
अंतर है...उनमें और हम में...
Posted by Aruna Kapoor at 7/23/2010 01:01:00 pm
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27 comments:
काश भारतीय अपनी भाषा से ऐसा ही प्यार करें ...रूपहले पर्दों वालों पर अच्छा व्यंग..
Really good poem,
मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें।
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तख़लीक़-ए-नज़र
तकनीक-दृष्टा
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
The Vinay Prajapati
अरुणा जी!बहुत खूबसूरत कविता लिखी हैं आपने .. कुछ पंक्तियाँ मेरी तरफ से लिखने की गुस्ताखी कर रही हूँ .
हम बीज है उस धरती के ,
रोपे गए इस धरती पे
बस अपनी मिटटी की खुशबू को
जिन्दा रखने की कोशिश करते हैं
इसलिए हम इंग्लिश में नहीं
ब्लॉग हिंदी में ही लिखते हैं :)
अरे!...शिखा जी!...आपने तो बहुत सुंदर पक्तियां लिखी है!....बधाई!
महा धुरंधर, पुराने.....कलाकार मंजे हुए...
भारत और विदेशों में...प्रसिद्धि पाए हुए...
हिंदी कविताएँ..रचतें और पढ़तें हुए...
बचपन और जवानी गुजर गई जिनकी...
हिंदी भाषा की धुल-मिटटी में खेलतें हुए...वे भी
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है....
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति एक से बढ़ कर एक और बेमिसाल
इस सन्दर्भ में मैंने इतनी उम्दा कविता नहीं देखी अब तक......
बधाई !
वाह वाह !
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति इसको पढ़कर आनंद आ गया
इस के लिए में आप का आभारी हु !
धन्यवाद !
अच्छा लगा पढ़कर बढ़िया रचना ...
khoobsoorat
अंगरेजी में लिखना (गलत सलत ही सही) गर्व(?) की बात है.
सच अरुणाजी
आज तो आनन्द ला दिया आपकी इस कविता ने |
अरे भाई इंग्लिश में हंसकर दिखाओ ?
खाते है हिंदी फिल्मो से
अदाए अंग्रजी की होती है उनकी |
बहुत बढ़िया
....धन्यवाद संगीताजी!इस व्यंग्यात्मक रचना को आपने पसंद किया!
अरुणा जी, मैं तो ब्लॉग हिन्दी में भी लिखता हूँ (मतलब जितना लिख पाता हूँ, मातृभाषा बंगला है ... सो एक हिंदीभाषी कि तरह शायद मैं उतनी अच्छी तरह हिंदी नहीं लिखा पाता हूँ, पर पूरी कोशिश रहती है) और अंग्रेजी में भी ... (क्यूंकि बचपन से ही अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में पढ़ा लिखा हूँ).
www.indranil-sail.blogspot.com
www.gemcorundum.blogspot.com
इंन्द्रनील जी!..जान कर बहुत खुशी हुई कि आप कोशिश करतें है और हिन्दी में भी ब्लोग लिखतें है!....आप लिखते रहिए!...आप के लेखन में और सुधार आता जाएगा!.... मै आपका आदर करती हुं!
मैने तो यहां उन फिल्मी हस्तियों पर कटाक्ष किया है जो हिन्दी फिल्मों द्वारा पैसा और प्रसिद्धि...दोनो बटोर रहे है!... लेकिन गर्व से कहते सुने गए है कि ' सॉरी, हमें हिन्दी नहीं आती... सो हम इंग्लिश में ही अपना काम चला रहे है!'.... अगर हिन्दी नहीं आती तो सीखी भी तो जा सकती है!... हिन्दी का क्षेत्र आपको रोजी-रोटी दे रहा है तो आपका भी फर्ज बनता है कि आप इस भाषा को आत्मसात करें और उचित न्याय दें...हिन्दी में ब्लॉग लिख कर ही सही, इस भाषा के प्रति सन्मान व्यक्त करें!... जैसे इंग्लिश आप ने सीख ली...वैसे हिन्दी भी तो सीखी जा सकती है!
kya kataksh kiya hai apna..badhai!
बहुत अच्छा व्यंग है आपका ... शायद इसीलिए हमारी हिन्दी भाषा उस स्तर तक नही पहुँची जहा उसे होना चाहिए अपने देश में ....
अभी थोड़े दिनों पहले ही ऋत्विक रोशन का साक्षात्कार देखा ...हिंदी में पूछे जाने वाले हर प्रसन्न का जवाब इंग्लिश में देते ...
कटु मगर सत्य ...!
कटु व्यंग्य
कितने सधे हुए शब्दों में हर एक को लपेट लिया..बढ़िया रचना.
वाह जी , कमाल लिखा है आपने !
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है....
आपकी पीड़ा विचारणीय है ।
हिंदी के प्रति आपकी भावनाएं वंदनीय हैं !
आभार !
स्वागत !
शस्वरं पर भी आपका हार्दिक स्वागत है , आइए…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
kya gin gin kar joote lagayen hain in film walon ko . Chalye hum aap to hindi men likhte hain. Jabardast kawita.
सुन्दर अभिव्यक्ति....
आनंद आ गया पढ़कर ....
वाह वाह !
बहुत अच्छी लगी आपकी रचना। पता नही हम अपने देश के गौरव को कब बढाना सीखेंगे। कब अपनी भाषा आपनी माटी से प्यार करेंगे। बधाइ इस रचना के लिये।
यह हिंदी प्रेम मन को भा गया.
बहुत खूब..
वाह ! ! मजेदार ।
aruna ji ,
kya khoob likha hai aapne,apni bhasha ka sammaan karte huye ktni safai se vyangatmak kavita prastut ki hai ki dil khush ho gaya.
poonam
bahut hi sahej sahej kar likha hai aapne .. badiya prastuti...
Meri Nayi Kavita Padne Ke Liye Blog Par Swaagat hai aapka......
A Silent Silence : Ye Paisa..
Banned Area News : I'm judging 10th reality show on TV: Farah Khan
आदरणीय सुश्रीअरूणाजी,
यह तो देश का गौरव है,और इसीलिए वे ...
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है !
बहुत सटीक रचना, कृपया बधाई स्वीकार करें ।
मार्कण्ड दवे।
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