...यह कविता मेरे पति श्री. पृथ्वीराज कपूर ने लिखी है! ...आज कल रिश्वतखोरी जोरों पर है... ख़ास तौर पर सरकारी दफ्तरों में इसके बगैर काम चल ही नहीं सकता!.... चपरासी से ले कर ऊँचे ओहदे वाले ऑफिसर तक रिश्वत को खाद्य बना कर 'ॐ स्वाहा ' किए जा रहे है! ...इन लोगों से सामान्य जनता का पाला पड़ना तो तय है ही!...बिना सरकारी दफ्तरों के बेचारा भारतीय नागरिक जाएगा भी तो कहाँ?...उसे भी लगता है कि काश मैं भी रिश्वत ले रहा होता या रिश्वत लेने वाले का बेटा होता!
मेरा अधुरा सपना!
काश मैं रिश्वतखोर का बेटा होता!
स्कूल में रिश्वत दे कर अच्छे अंक पाता!
एंट्रेंस के पेपर लिक करवा कर,
उच्च श्रेणी के कोलेज में प्रवेश पाता!...काश मैं रिश्वत खोर का ....
रिश्वतखोरों को रिश्वत दे कर, अच्छी नौकरी पाता !
बैठ कर रिश्वतखोरों के संग , अपना मान बढाता !
रिश्वत खा, खा कर,
समाज में अकलमंद का खिताब पाता!...काश मैं रिश्वतखोर का...
रिश्तेदारों में ,दोस्तों में, समाज में....
झगड़े निपटाता , बुद्धिमान शख्स कहलाता...
मन के मंदिर में, रिश्वत देवता को स्थापित कर,
दुनिया के समक्ष उसके गुणगान गाता!...काश मैं रिश्वत खोर का बेटा होता!
Tuesday, 26 October 2010
Posted by Aruna Kapoor at 10/26/2010 11:40:00 am 55 comments
Saturday, 18 September 2010
फ़िल्मी हस्तियों की नजर है...इस 'उपन्यास' पर!
...आए दिन मुझे ई-मेल , फोन और पत्रों द्वारा बधाइयां मिल रही है!...उन सब को मैं तहे दिल से धन्यवाद कहना चाहती हूं!... मैंने निजी तौर पर भी सभी को धन्यवाद भेजा है!
...यहां ख़ास तौर पर बताना चाहूंगी कि एक जानी-मानी फ़िल्मी हस्ती ने भी यह उपन्यास पढ़ कर...इसके बारे में अच्छा कोमेंट दिया है... उपन्यास के कवर पेज पर मेरा फोन नंबर है...उन्हों ने ही मुझे फोन किया....कहा कि उन्हें कहानी बहुत पसंद आई!... विज्ञान कथा पर आधारित फिल्में वे बना चुके है और ऐसी ही विज्ञान कथा पर आधारित कहानी की उन्हें तलाश थी...अगर प्रोग्राम सही बैठता है तो वे जल्दी ही आगे की बात-चित के लिए मुझे मुंबई बुलाएंगे या खुद दिल्ली आएंगे!....
.....अगर इस उपन्यास पर फिल्म बन जाती है ....तो आप सभी के लिए सुखद समाचार है!....क्यों कि आप के ब्लॉग्स पढ़ कर ही मुझे यह उपन्यास लिखनेकी प्रेरणा मिलती गई ...और मैं लिखती चली गई!....यहां सभी का योगदान है!,,,,फिर एक बार मैं आपकी भेजी हुई शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद कहना चाहूंगी, जो हंमेशा के लिए मेरे साथ है!
Posted by Aruna Kapoor at 9/18/2010 11:29:00 am 29 comments
Friday, 17 September 2010
Wednesday, 1 September 2010
उनकी नजर है, हमपर ...के बारे में.....
Posted by Aruna Kapoor at 9/01/2010 03:59:00 pm 30 comments
Tuesday, 24 August 2010
शुभ- कामनाएं बहन की तरफ से....
Posted by Aruna Kapoor at 8/24/2010 11:21:00 am 19 comments
Sunday, 22 August 2010
कविता के दिल का दर्द!
नदी की बहती धारामें...
पूछा कैसे हुआ आना यहाँ...
मैं तुम्हे खोजती हुई...
आई हूँ यहाँ...
कविता!...तुम्हारी जरुरत...
कवियों को है....
किताबों को है...
पाठकों को है....
गायकों को है...
संगीतकारों को है.....
और तुम यहाँ, इस कदर ...
..और तभी महसूस किया मैंने...
दिल, मन और आत्मा ....
करते है अत्याचार....
Posted by Aruna Kapoor at 8/22/2010 12:04:00 pm 14 comments
Friday, 23 July 2010
अंतर है...उनमें और हम में...
लिखतें है वे भी...लिखतें है हम भी...
अब वे टिम-टिम नही, ट्विट-ट्विट करते है...
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है!
हिंदी फिल्मों में अभिनय करते है, तो क्या हुआ?
भारत में भी रहते है...तो क्या हुआ?
विदेशों की सैर..फिल्म की शूटिंग के बहाने ही सही....
करते है..तो क्या हुआ?
यह तो देश का गौरव है,और इसीलिए वे ...
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है !
भारत देश प्यारा है उन्हें भी...
देश-प्रेम की कहानियाँ, रुपहले परदे पर....
हिंदी का दामन थाम कर....
इंग्लिश धुन में गा-बजा कर...
पेश करतें है वे, सोच समझ कर... और इसीलिए
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है!
कुछ सितारे यहाँ आए ...परदेश से...
हिंदी की स्वादिष्ट रोटी,खाने के इरादे से....
हिंदी भाषा का अल्प ज्ञान समेटे ....
देखिएं !..हिंदी फ़िल्में हिट करते है ये...
टूटी फूटी हिंदी में...बतियाते है ये...फिर भी...
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है!
महा धुरंधर, पुराने.....कलाकार मंजे हुए...
भारत और विदेशों में...प्रसिद्धि पाए हुए...
हिंदी कविताएँ..रचतें और पढ़तें हुए...
बचपन और जवानी गुजर गई जिनकी...
हिंदी भाषा की धुल-मिटटी में खेलतें हुए...वे भी
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है....
आप और हम ....तारे है जमीं के...
यहीं पर जन्मे हम...वारिस है हम भारत भूमि के...
हम लिखते है, पढ़तें है...कायल है हिंदी भाषा के...
करतें है आदर ....इंग्लिश भाषा का हम भी ....
पर ऐसा काम हरगिज नहीं करतें... कि
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है !
Posted by Aruna Kapoor at 7/23/2010 01:01:00 pm 27 comments
Tuesday, 6 July 2010
पास आने से मिलती है खुशियाँ...
आपस की सुख- दुःख की बातों कों...गुन-गुनातें हुए...
कह-कहें लगातें हुए...
आँखों में आंसू भर कर...
बिना शब्दों के ही....
सुनने-सुनानेका लंबा सिलसिला!
कुछ लक्ष्य को पाने की बातें...
कुछ ध्येय की चर्चाएँ...
कुछ रास्तें की रुकावटें...
कुछ विजय हासिल करने की गाथाएं...
कुछ अपनी आदतें...
कुछ अपनों की आदतें....
सुनने-सुनाने का लंबा सिलसिला!
इस हप्ते सैर हुई कहाँ की...
कैसी थी जगह..कैसे थे लोग!
भाई मिलने आया था या दीदी...
आज खाने में आया था मजा...
या खानेका मजा हुआ था किरकिरा...
पत्नी उदास थी या रूठे हुए थे पतिदेव..
और भी बहुत कुछ चटाकेदार, धमाकेदार...
ज्यादा नजदीकियां भी...डालती है रंग में भंग...
याद आते है पुराने शिकवे-गिले...
तू-तू...मैं-मैं ...हुई थी...
पिछली बार जब हम थे मिले....
अब बेहतर होगा चुप रहना...
बहुत कुछ कहने के बाद मौन धारण करना...
आँखों से झलकते नाराजगी के इशारें...
और फिर मिलने का वादा..और चलने की तैयारी...
फिर अगले अंक की प्रतीक्षा...
और जारी रहता...वो प्यारा प्यारा
सुनने- सुनाने का लंबा सिलसिला!
आपसी प्रेमभाव बढाने की दिली ईच्छा...
जब जब भी जाग उठे मनमें...
थोडीसी दूरी का दु:ख सहना होगा...
मिलन को मंगलमय 'गर हो बनाना...
कुछ समय...कुछ दूरी को अपनाना होगा...
इन्तजार करने...करवाने में भी है एक मज़ा...
यूँ ही नहीं जीवन-रस कानों में घोलता...
सुनने-सुनाने का लंबा सिलसिला!
Posted by Aruna Kapoor at 7/06/2010 01:04:00 pm 25 comments
Sunday, 27 June 2010
जहाँ बाढ़ है आशीर्वाद!
...और साहित्य के आकाश का....
रंग गहराता चला गया......
लाल, पिला, नीला , नारंगी...
इंद्रधनू के सात रंग....
एक रंग में रंग गए....
पुस्तकों के पन्नों की फड-फडाहट,
ठंडी बयार की पैदाइश...
और अचानक से...
बिजली कडकी...
बरसने लगी बूंदे...
पहले धीरे..फिर तेज...
ये कविताएँ बरस रही थी....
दमदार कहानियों के....
गुदागुदातें हास्यव्यंगों के....
गंभीर निबंधों के.....
मोटे मोटे उपन्यासों के...
ओले भी टूट पड़ें...
आहाहा..
क्या समां था..क्या नजारा था...
दिल चाहने लगा...
अंदर ही अंदर कहने लगा...काश कि ये ऐसा ही रहे,
कहर ढहता ही रहे...
..और शायद सुन ली हमारी....
उसी उपरवाले ने....
जारी है वर्षा....
सदियों से.....
बाढ़ भी आई है लेखकों की...
लिखने वाले सभी है लेखक...
कोई कविता, कोई कहानी...
पर लिखते अवश्य है...ब्लॉग!
सुन्दर और सुन्दरतम रचनाओं का...
आया है बहुत बड़ा सैलाब!
बाढ़ से स्थिति गंभीर नहीं है....
बाढ़ से मिल रही है राहत....
बाढ़ से बढ़ रही है खुशहाली...
आपसी प्रेमभाव और
कुछ खो कर, पाने की चाहत...
राजनेता चिंतित नहीं है बाढ़ से...
सभी लिखते है..लेखक है....
इस बाढ़ के बचाव कार्य की....
न जरुरत कल थी...न आज है...
अगर जरुरत है....
तो साहित्य के आकाश को....
और विशाल बनाने की है.....
Posted by Aruna Kapoor at 6/27/2010 05:44:00 pm 24 comments
Tuesday, 1 June 2010
हमसफ़र..?
हमसफ़र...?
हम साथ साथ चले थे...
जीवन के सफ़र पर...
उसे कांटा न चुभ जाए,
मैं कांटे बटोरता रहा.....
जिस मंझिल तक उसे पहुंचना था...
मैं उसके लिए रास्ते बनाता रहा...
अपनी मंझिल पर पहुंचकर ,
गर्व था उसे अपनी जीत का...
मैंने पुकारा उसे हमसफ़र मान कर...
गलत था मैं...
क्यों कि मेरी पहचान ही भुलादी थी उसने....
-पृथ्वी 'काल्पनिक '
Posted by Aruna Kapoor at 6/01/2010 08:10:00 pm 7 comments
Friday, 28 May 2010
फूल की किस्मत !
एक गुलज़ार में...
एक माली ने सींचा...
गुलाब का सुंदर सा एक पौधा...
उस पर खिले दो सुंदर फूल...
देखिए एक फूल की किस्मत...
उसे भगवान के चरणों में मिली जगह...
उसे हमने माथे से लगाया...पूज्य समझा॥
दूसरे फूल की किस्मत भी देखिए...
उसे शव को अर्पित किया गया...
शव का फूल समझ कर...
उसे हमने पाँव तले रौंदा ....
दोनों फूलों ने हमसे पूछा...
हे!..इंसानों, क्या गलती थी हमारी?
जो हमें...ऐसा...
अलग, अलग, ...भविष्य मिला?
--- पृथ्वी "काल्पनिक"
Posted by Aruna Kapoor at 5/28/2010 09:35:00 pm 6 comments