हमसफ़र...?
हम साथ साथ चले थे...
जीवन के सफ़र पर...
उसे कांटा न चुभ जाए,
मैं कांटे बटोरता रहा.....
जिस मंझिल तक उसे पहुंचना था...
मैं उसके लिए रास्ते बनाता रहा...
अपनी मंझिल पर पहुंचकर ,
गर्व था उसे अपनी जीत का...
मैंने पुकारा उसे हमसफ़र मान कर...
गलत था मैं...
क्यों कि मेरी पहचान ही भुलादी थी उसने....
-पृथ्वी 'काल्पनिक '
Tuesday, 1 June 2010
हमसफ़र..?
Posted by Aruna Kapoor at 6/01/2010 08:10:00 pm
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7 comments:
बहुत खूब।
गर्व था उसे अपनी जीत का...
मैंने पुकारा उसे हमसफ़र मान कर...
गलत था मैं...
क्यों कि मेरी पहचान ही भुलादी थी उसने....
वाह, बहुत सुंदर ।
क्या प्रेम प्रवाह है.बस कुछ मत पूंछो अब !!!!!!!!!??????????
Good
Thanks for Comment
my Blog
http://sajiduser.blogspot.com/
बेहतरीन!!
मैंने पुकारा उसे हमसफ़र मान कर...
गलत था मैं...
क्यों कि मेरी पहचान ही भुलादी थी उसने.
बहुत खूब।
हम साथ साथ चले थे...
जीवन के सफ़र पर...
उसे कांटा न चुभ जाए,
मैं कांटे बटोरता रहा.....
kaash sabhi aise hon..
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