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Thursday, 10 May 2012

अलविदा!...हम चल दिए...

....अलविदा!...हम चल दिए...


जाना तो है सभी को एक दिन...
तो हम क्यों न आज ही चल दें...
कहा-सुना- लिखा माफ हो दोस्तों...
आप यहाँ बने रहिए खुशी से...
हमें तो बस इजाजत ही दें....


खाली नहीं है झोली हमारी...
भरी हुई है सुन्दर यादें...
कुछ कमजोर क्षण...
कुछ हास्य के चटपटे व्यंजन..
कुछ जीवन से जुड़े तथ्य...
कुछ मन का सूना पन!
भावनाओं के सागर का खारापन...
शीतल मद-मस्त नदियों की मिठास....
और गैरों से मिला हुआ अपनापन...


सब कुछ बाँध लिया...
विचारों के दृढ़ बंधन में...
लिए जा रहे है संग अपने...
पोटली दिल से लगाए हुए...
पथ तो अब भी है शायद लंबा...
मौसम भी शायद है खुश-मिजाज...
पर हम?...दिल से है कुम्हलाएं हुए....


छोड़ कर जा रहे यादें अपनी...
रचनाओं के फूलों में पिरो कर...
फूल सूख भी जाएंगे तो क्या....
महक बनी रहेगी उम्र भर...


याद आना हंमेशा दोस्तों...
शुभकामनाएं हम दिए जा रहे...
नाम ऊँचा हो आप सबका....
सफलता कदम चुमती रहे,
समय ने अब पुकारा है हमें
...अलविदा!...हम जा रहे!







18 comments:

vandana gupta said...

kahan ja rahi hain aruna ji sabko chodkar .........rachana bhavbhini hai magar jaiyega mat is tarah alvida kahkar

shikha varshney said...

अरे क्या हो गया अरुणा जी ! कोई समस्या है तो ब्रेक ले लीजिए..पर ..कभी अलविदा न कहना ...

ANULATA RAJ NAIR said...

अरुणा जी मुझे यकीं है कि ये आपकी एक रचना है........आप कहीं नहीं जा रहे...............

नहीं जा रहे ना????
:-(

अनु

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ये अलविदा किस लिए ? कहीं घूमने जा रही हैं ?

संजय भास्‍कर said...

हर शब्‍द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।

ऋता शेखर 'मधु' said...

शायद कहीं घूमने जा रही हैं...विश्राम के बाद तरोताजा होकर आइए...आपकी रचनाओं का इन्तज़ार रहेगा.

Aruna Kapoor said...

वंदना.शिखा, अनु,रविकर जी,संगीता जी,संजय भास्कर,ऋता शेखर मधु....आप सभीका प्यार पा कर मेरा मन गद् गद् हो उठा है!...भाव-भीनी विदा ले रही हूँ...ब्लॉग अब नहीं लिखूंगी लेकिन टिप्पणियों के माध्यम से आप सब के साथ अवश्य जुडी रहूंगी!...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
घूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
--
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
टनकपुर रोड, खटीमा,
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड, भारत - 262308.
Phone/Fax: 05943-250207,
Mobiles: 09456383898, 09808136060,
09368499921, 09997996437, 07417619828
Website - http://uchcharan.blogspot.com/

ZEAL said...

डॉ अरुणा,
इस प्रकार जाने की बात लिख देना मन को बहुत दुःख देता है। कहीं मत जाईयेगा। लिखती रहिएगा हम सभी के साथ-साथ। एक सुन्दर एहसास और साथ बना रहता है। आप हमारी प्रेरणा स्रोत हैं। आपकी घोषणा दुखदायी है, कृपया इसे वापस लीजिये।

आपकी अगली प्रस्तुति के इंतज़ार में....

.

प्रेम सरोवर said...

बहुत बढ़िया । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा ।धन्यवाद ।

मनोज कुमार said...

अरुणा जी, इस अलविदा का मतलब समझ नहीं आया। यह कविता भर ही है ना?

अरे आपके विचार देखे। आप जैसे सीरियस ब्लॉगर विदा ले ले तो ब्लॉग जगत का भला नहीं होगा।
पुनर्विचार करें।

सदा said...

बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ... आभार ।

Aruna Kapoor said...

मनोज जी,झील, प्रेम सरोवर जी और सदाजी!...आभार!... अगर मै चाहती,तो बहुत से अन्य ब्लॉगर्स की तरह चुप-चाप यहाँ से खिसक जाती...लेकिन जाहिर तौर पर बता कर विदा ले रही हूँ!...क्यों कि मुझे लग रहा है कि यहाँ ब्लॉगर्स की मेहनत की कोई कीमत नहीं आंकी जा रही!...

Pallavi saxena said...

अरे अरुणा जी ऐसा क्या हो गया क्यूँ जा रही हैं भई...

Anonymous said...

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अनामिका की सदायें ...... said...

aruna ji ye kaisi alwida ?
ye kahan ki or prasthan ?
kabhi koi is dharti se alwida hua hai kya ?
kabhi koi kisi k dilo me basne k baad prasthan kar paya hai kya?
fir aisa kya hua ?

thoda break lijiye aur laut aaiye.

दिगम्बर नासवा said...

इस अलविदा का अब अंत करें ... ब्लॉग जगत में दुबारा आयें ... अच्छे लिखने वालों की हमेशा कमी रहती है इस जगत में ...

मुकेश कुमार सिन्हा said...

koi alwida nahi kar sakta....
aapka intzaar rahega...