ऐसी २६ जनवरी...ऐसा गणतंत्र दिवस ..
...बहुत अच्छा लग रहा है....कम से कम आज के दिन तो देशभक्ति की याद ताजा कर रहे है नेता लोग !...
...आम आदमी की तो बात ही और है...आम आदमी तो देशभक्ति का जोश दिल में लिए हुए हंमेशा से ही खडा है...उसे हरदम लगता है कि 'वो सुबहा, कभी तो आएगी...'
.....वह एक ऐसी सुबह की कल्पना हर रोज करता है ...जब महंगाई घटेगी, रिश्वत खोरी मिटेगी, गरीबी किताबों के पन्नों तक सिमट कर रह जाएगी ,कोर्ट के लंबे समय तक लटकते ...केस जल्दी और सही फैसले का रुख करेंगे, नेता लोग इमानदारी और सच्चाई से राजपाट संभालना शुरू करेंगे...तो आम आदमी देश छबी कुछ कुछ ऐसी ही देखना चाहता है लेकिन उसे आज जो देश की छबी दिखाई दे रही है वह कुछ ऐसी है....
मैंने नवभारत टाइम्स के अपने ब्लॉग में इस छबी को कविता के रूप में कुछ इस प्रकार से उतारा है...आप के लिए यहाँ लिंक प्रस्तुत कर रही हूँ....बताइए यह सही है या गलत!
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/mujhekuchhkehnahai/entry/26-%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%B0-%E0%A4%95-%E0%A4%AE-%E0%A4%97%E0%A4%B2%E0%A4%AE%E0%A4%AF-%E0%A4%A4-%E0%A4%AF-%E0%A4%B9-%E0%A4%B0-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%B9%E0%A4%AE-%E0%A4%B0-%E0%A4%A8-%E0%A4%A4-%E0%A4%B2-%E0%A4%97
Thursday, 26 January 2012
Posted by Aruna Kapoor at 1/26/2012 03:21:00 pm
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6 comments:
इसी सकारात्मक सोच के सहारे कायनात चले है .उम्मीदी से आस बंधती है ज़िंदा होने का एहसास होता है .
हर नेता जन्मजात अभिनेता है...
कब आंसूओं से काम लेना....
कब दिल खोल कर हंसना....
कब मुस्कुराना...कब गुस्सा दिखाना...
और कब किस पर पलटवार करना...
वह सब जानता है....
सारे प्रपंच सारे ढोंग नौटंकी .
अगली पोस्ट प्रतीक्षित .
बेहतरीन रचना,लाजबाब प्रस्तुतीकरण..
MY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
shi bat.
नेट की कमी और कार्यव्यवस्ता की वजह से मैं ब्लॉग में ना आ पाई..अरुणा जी आपको बसंत में शुभकामनाएं...
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