हर कदम जलतें रहे...हंमेशा खुशियों के दीये।
हां।...तो हुई थी दस्तक दरवाजे पर,
जाना हमने कि वही है वो....
इंतजार उसीका तो था हमें,
अब यकीनन आ गया है वो....
बस।... हमने लपक कर खोला...
अपने दिल का दरवाजा....
अपने बंद भेजे का दरवाजा...
अपनी बंद आखों का दरवाजा....
अपनी कुंठित सोच का दरवाजा....
अपने सीमित दायरे का दरवाजा....
और कई पुरानी यादों का दरवाजा.....
एक जानी पहचानी महक....
दरवाजे के खुलने पर,.. आई अंदर।
एक धुंधली सी आकृति मन की आंखों से...
देखी हमने..बडी ही थी सुंदर।
उसके थे बारह हाथ...भरे-पूरे..लहरातें..
मानों कोई लहरों से भरा, विशाल समंदर।
एक एक हाथ में एक एक उपहार का पुलिंदा....
आने वाला बडा ही था, पहुंचा हुआ...धुरंदर।
बारह हाथ थे उसके... बारह महीने,
नया साल सामने खडा था उपहार लिये...
जानते थे हम वह बंद लिफाफों में,
लाया है बहुत कुछ... जो है हमारे लिये...
उसमें कुछ खुशियां भी है, गम भी है,
कुछ न बोले हम... बस। उसके स्वागत में,
जलाएं हमने सिर्फ आंखों के दीए...
जनवरी- फरवरी-मार्च्......
हमने बारह उपहार, उसके हाथ से ले लिए...
अब नूतन वर्ष आ कर,
मुड गया है, वापस जाने के लिए...
बारह उपहार जब आत्मसात कर लेंगे हम्,
वह फिर आएगा... नये बारह हाथ में लिए हुए....
मुबारक हो सभी को,
उसके बारह् उपहार जो है आपके लिए...
मनोकामनाएं पूर्ण हो सभी की,
हर कदम जलतें रहे...हंमेशा खुशियों के दिए....
हां।...तो हुई थी दस्तक दरवाजे पर,
जाना हमने कि वही है वो....
इंतजार उसीका तो था हमें,
अब यकीनन आ गया है वो....
बस।... हमने लपक कर खोला...
अपने दिल का दरवाजा....
अपने बंद भेजे का दरवाजा...
अपनी बंद आखों का दरवाजा....
अपनी कुंठित सोच का दरवाजा....
अपने सीमित दायरे का दरवाजा....
और कई पुरानी यादों का दरवाजा.....
एक जानी पहचानी महक....
दरवाजे के खुलने पर,.. आई अंदर।
एक धुंधली सी आकृति मन की आंखों से...
देखी हमने..बडी ही थी सुंदर।
उसके थे बारह हाथ...भरे-पूरे..लहरातें..
मानों कोई लहरों से भरा, विशाल समंदर।
एक एक हाथ में एक एक उपहार का पुलिंदा....
आने वाला बडा ही था, पहुंचा हुआ...धुरंदर।
बारह हाथ थे उसके... बारह महीने,
नया साल सामने खडा था उपहार लिये...
जानते थे हम वह बंद लिफाफों में,
लाया है बहुत कुछ... जो है हमारे लिये...
उसमें कुछ खुशियां भी है, गम भी है,
कुछ न बोले हम... बस। उसके स्वागत में,
जलाएं हमने सिर्फ आंखों के दीए...
जनवरी- फरवरी-मार्च्......
हमने बारह उपहार, उसके हाथ से ले लिए...
अब नूतन वर्ष आ कर,
मुड गया है, वापस जाने के लिए...
बारह उपहार जब आत्मसात कर लेंगे हम्,
वह फिर आएगा... नये बारह हाथ में लिए हुए....
मुबारक हो सभी को,
उसके बारह् उपहार जो है आपके लिए...
मनोकामनाएं पूर्ण हो सभी की,
हर कदम जलतें रहे...हंमेशा खुशियों के दिए....
15 comments:
मुबारक हो जी आपको भी
बारह हाथ
तीस तीस उंगलियाँ (कुछ में इकत्तीस भी हैं.)
बहुत सुन्दर भाव व्यक्त किये आपने इस कविता मे।
आपको परिजनों और इष्ट मित्र जनों सहित नये साल की घणी रामराम।
अरे वाह आप ने तो इन 365 दिनो की अच्छी तह लगा दी, बहुत सुंदर शब्दो मे आप ने नये साल का स्वागत किया, बहुत सुंदर भाव..
नव वर्ष की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं !!!नया साल आप सब के जीवन मै खुब खुशियां ले कर आये,ओर पुरे विश्चव मै शातिं ले कर आये.
धन्यवाद
नया साल मुबारक़ हो!
HAPPY NEW YEAR..........
वाह !
कुछ जुदा सा अंदाज नए साल के आगमन का......आपको नव वर्ष की शुभकामनाये
हर कदम जलतें रहे...हंमेशा खुशियों के दिए....
रात औ दिन ढलते रहें...हमेशा खुशियाँ लिए.......
aapako bhi nav varsh ki shubhkamnayen.
वाह!!! ये कुछ नया नया सा अलग अंदाज-बधाई.
नववर्ष की मंगलकामनाऐं.
नव वर्ष की शब्दों में खूब तस्वीर खिंची है आपने. कामना है उपहार में खुशियाँ ही ज्यादा आयें. शुभकामनाएं.
नव वर्ष की शुभकामनाएं!
बहुत गज़ब के कविता है सच में बहुत मज़ा आया एक एक लाइन में आपका विचार चिंतन बहुत अलग है
बहुत बढिया कविता साधुबाद
सुंदर रचना. अच्छा लगा पढ़ के.
धन्यवाद
पहली बार आया हूँ और वो भी देर से, प्रशंसनीय प्रयास. आपको भी सपरिवार मंगलमय नव वर्ष २०१०हो.
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