हमें क्या बना दिया है तुमने...
हम जानते है कि हमें ,
दिलसे बाहर कर दिया है तुमने....
एक गहरी सांस की तरह्,
पहले अंदर लेते हुए...
फिर बाहर निकाला है तुमने...
एक नाजुक से पुष्प को,
डाली से तोडकर....
अपने होठो से लगा कर,
किसी और को दे दिया है तुमने...
हम जानते है कि हमें ,
दिलसे बाहर कर दिया है तुमने....
एक गहरी सांस की तरह्,
पहले अंदर लेते हुए...
फिर बाहर निकाला है तुमने...
एक नाजुक से पुष्प को,
डाली से तोडकर....
अपने होठो से लगा कर,
किसी और को दे दिया है तुमने...
खैर! अब तक तो है हम,
किसी और के हाथों में सलामत!
कल हो न हो! जानेमन!
कल की फिकर किसे है अब?
यही तो हमें सिखाया है तुमने...
अब सामने आ आ कर,
हसरत भरी निगाहों से...
यूं हमें तकते रहना तुम्हारा,
अब तो हद कर दी है तुमने…
हम अब बदल नहीं सकतें!
लाख कोशिशें कर लेना तुम...
वापसी नामुमकीन है हमारी,
क्यों कि...समझ लो कि,
हमें गया वक्त बना दिया है तुमने...
4 comments:
Nice dude, good poem .... keep the good work going...
धन्यवाद तो आपको भेजना था मुझे. ई मेल पता तलाश रहा था. कि उससे पहले ही आपका थैंक्यू आ पहुंचा. खैर ...... इसके लिए भी धन्यवाद. बाजी आपने मार ली. इसका भी अपना आनंद है.
पर आपने किस बात के लिए धन्यवाद किया.
avinashvachaspati@gmail.com
wah-wah.
मुझको तुम्हारे इश्क ने क्या क्या बना दिया ।
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