a href="http://hindiblogs.charchaa.org" target="_blank">हिंदी चिट्ठा संकलक

Friday, 25 April 2008

हमें क्या बना दिया है तुमने

हमें क्या बना दिया है तुमने...

हम जानते है कि हमें ,
दिलसे बाहर कर दिया है तुमने....

एक गहरी सांस की तरह्,
पहले अंदर लेते हुए...
फिर बाहर निकाला है तुमने...


एक नाजुक से पुष्प को,
डाली से तोडकर....
अपने होठो से लगा कर,
किसी और को दे दिया है तुमने...

खैर! अब तक तो है हम,
किसी और के हाथों में सलामत!
कल हो न हो! जानेमन!
कल की फिकर किसे है अब?
यही तो हमें सिखाया है तुमने...


अब सामने आ आ कर,
हसरत भरी निगाहों से...
यूं हमें तकते रहना तुम्हारा,
अब तो हद कर दी है तुमने…


हम अब बदल नहीं सकतें!
लाख कोशिशें कर लेना तुम...
वापसी नामुमकीन है हमारी,
क्यों कि...समझ लो कि,
हमें गया वक्त बना दिया है तुमने...


4 comments:

Dr. Arun Dwivedi said...

Nice dude, good poem .... keep the good work going...

अविनाश वाचस्पति said...

धन्‍यवाद तो आपको भेजना था मुझे. ई मेल पता तलाश रहा था. कि उससे पहले ही आपका थैंक्‍यू आ पहुंचा. खैर ...... इसके लिए भी धन्‍यवाद. बाजी आपने मार ली. इसका भी अपना आनंद है.
पर आपने किस बात के लिए धन्‍यवाद किया.
avinashvachaspati@gmail.com

संगीता तोमर said...

wah-wah.

Asha Joglekar said...

मुझको तुम्हारे इश्क ने क्या क्या बना दिया ।