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Monday, 3 December 2007

Kharidane hai...kuchh khilaunen,kuchh dresses

खरीदने है...कुछ खिलौनें, कुछ ड्रेसीस्!

... कल ही दोपहर दो बजे की एयर- इंडिया की फ्लाइटसे मै मुंबई जा रही हूं.अपनी सहेली घर पर जा रही हूं...उसके बेटे रौनक का बर्थ्-डे है.

...अभी तो यहां शाम का समय है. ठंड बढती ही जा रही है....ये दिल्ली है! दिल्ली की ठंड तो बड़ी ही खुशनुमा होती है...पर इस खुशनुमा ठंड के आंचल से निकल कर, कल तो किसी भी हालत में मुझे मुंबई पहुंचना ही है

...अब क्या गिफ्ट खरीदूं कि सात बर्षिय रौनक को पसंद आए? कुछ खिलौने या कुछ ड्रेसीस...या फिर दोनों! बस एक मॉल से अब दूसरे मॉल में आ गई हूं.काश कि मैने किसीको अपने साथ ले लिया होता...खरीदारी के बारे में कुछ हेल्प तो हो ही जाती...उफ़्!

..मेरे सामने कितना कुछ है...सभी चीजें अच्छी लग रही है, यही तो मुसीबत है..अब मै क्या लूं और क्या न लूं! कुछ तो खरीदना ही है मुझे....

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