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Sunday 27 June 2010

जहाँ बाढ़ है आशीर्वाद!

इस बाढ़ से मिली है...राहत और खुशहाली

...और साहित्य के आकाश का....

रंग गहराता चला गया......
लाल, पिला, नीला , नारंगी...
इंद्रधनू के सात रंग....
एक रंग में रंग गए....

पुस्तकों के पन्नों की फड-फडाहट,
ठंडी बयार की पैदाइश...
और अचानक से...
बिजली कडकी...
बरसने लगी बूंदे...
पहले धीरे..फिर तेज...
ये कविताएँ बरस रही थी....

दमदार कहानियों के....
गुदागुदातें हास्यव्यंगों के....
गंभीर निबंधों के.....
मोटे मोटे उपन्यासों के...
ओले भी टूट पड़ें...

आहाहा..
क्या समां था..क्या नजारा था...

दिल चाहने लगा...
अंदर ही अंदर कहने लगा...काश कि ये ऐसा ही रहे,
कहर ढहता ही रहे...

..और शायद सुन ली हमारी....
उसी उपरवाले ने....

जारी है वर्षा....
सदियों से.....
बाढ़ भी आई है लेखकों की...
लिखने वाले सभी है लेखक...
कोई कविता, कोई कहानी...
पर लिखते अवश्य है...ब्लॉग!
सुन्दर और सुन्दरतम रचनाओं का...
आया है बहुत बड़ा सैलाब!


बाढ़ से स्थिति गंभीर नहीं है....
बाढ़ से मिल रही है राहत....
बाढ़ से बढ़ रही है खुशहाली...
आपसी प्रेमभाव और
कुछ खो कर, पाने की चाहत...

राजनेता चिंतित नहीं है बाढ़ से...
सभी लिखते है..लेखक है....
इस बाढ़ के बचाव कार्य की....
न जरुरत कल थी...न आज है...
अगर जरुरत है....
तो साहित्य के आकाश को....
और विशाल बनाने की है.....




Tuesday 1 June 2010

हमसफ़र..?

हमसफ़र...?

हम साथ साथ चले थे...
जीवन के सफ़र पर...
उसे कांटा न चुभ जाए,
मैं कांटे बटोरता रहा.....
जिस मंझिल तक उसे पहुंचना था...
मैं उसके लिए रास्ते बनाता रहा...
अपनी मंझिल पर पहुंचकर ,
गर्व था उसे अपनी जीत का...
मैंने पुकारा उसे हमसफ़र मान कर...
गलत था मैं...
क्यों कि मेरी पहचान ही भुलादी थी उसने....

-पृथ्वी 'काल्पनिक '