क्या हूं मैं...क्या नाम है मेरा?
क्या हूं मैं....क्या नाम है मेरा,
जब भी पूछता है कोई;
कुछ भी जवाब नही आता जुबां पर...
क्यों कि ...बेगाना लगता है हर कोई...
रात तो रात ही होती है,
और दिन भी, रात ही है मेरे लिए....
आते- जाते पल, जाने-पहचाने से मेरे लिए...
शायद वे भी नहीं जानते मेरा नाम.....
तभी तो उनकी तरफ से कोई....
कभी आवाज नहीं आई....
नाम तो कभी मिला था मुझे भी....
नाज भी था कभी उस पर मुझे...
नाम उंचा करने की चाहत भी थी दिलमें...
अपनी स्त्री जाती पर गर्व था मुझे....
कुछ नया कर दिखाने की तमन्ना ....
कुछ खोने और कुछ पाने की चाहत...
नई कल्पनाओं को थी....
सुंदर पंखों की तलाश....
विशाल नभ की तलाश....
पल पल गुजरता गया...
पंखों की तलाश में कुलबुलाती रही....
विशाल नभ में ऊडने की आशा में...
मन ही मन बिलबिलाती रही....
धीरे धीरे नाम से नाता रहा.. नाम मात्र का...
अपना कोई रंग ना होते हुए भी....
मै हर रंग में ढलती रही.....
मेरी जरुरत है हर किसीको...
मुझे चाह्ता भी है हर कोई....
..पर नभ नहीं...इस जमीन पर ही
नजरे नीची किए, बैठी हुई....
मुझे देखना चाहता है हर कोई....
ऐसे में किसे अपना समझू?
पराया ही है यहां हर कोई...
तो....
क्या हूं मैं ....क्या नाम है मेरा...
जब भी पूछता है कोई;
कुछ भी जवाब नहीं आता जुबां पर...
क्यों कि...बेगाना लगता है हर कोई...
32 comments:
बहुत सुन्दर रचना.
रामराम.
बहुत ख़ूबसूरत शब्दचित्र है!
तख़लीक़-ए-नज़र
beautiful ma'am..
वाह अति सुंदर भाव लिये है आप की यह कविता.
धन्यवाद
kuchh naya kar dikhaane ki------bahut hi sunder bhav hai itni achhi kavita ke liye sadhuvad
nishchit roop se har koi begana he, jindgi kon si apna sath nibhaati he? aour ham....
mujhe yaad aata he ek sant ne kisi varta me kaha thaa ki.." naam tab tak hota he jab tk ham jinda hote he, marne ke baad hamare apne hame apne naam se nahi pukarte balki sab kahte he BODY aa rahi he.."
achchi kavita he..
ma'am ,
meri hindi kavitao ki chhoti si koshish yahan se shuru hoti hai..
please aa kar mera hausla barhayie...
http://merastitva.blogspot.com
गहरा अध्यात्मा परोसा है आपने
bahut khoob...
kuch naya karne ki chah mein apno se begane ho chale hain hum
स्त्री के भावनाओं की सार्थक अभिव्यक्ति.
सुंदर स्त्री च्या हतबलते चं भावपूर्ण चित्रण ।
रंगों के पर्व होली पर आपको ढेरो शुभकामनाए
आपको परिवार सहित होली पर्व की हार्दिक बधाई और घणी रामराम.
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
होली मुबारक..
apne ko jaanne ki ichaa sadiyon se kayam hai khud ko pehchaanne walaa insaan sadhaaran maanav nahi rehta .Aapki yeh khoj aapko khushiyon ke anantsaagar ki aur le jaayegi.
तारतम्य नहीं मिला मुझे तो!
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शुक्रिया. जारी रहें.
khoobsurat..
Aadarneeya jayakajaji, aapki kavyarachna rachna k roop me shabd ki pavitra archna hai ,BADHAI HO, AAPKI JAY HO
-albela khatri
www.albelakhatri.com
मेरी जरुरत है हर किसीको...
मुझे चाह्ता भी है हर कोई....
..पर नभ नहीं...इस जमीन पर ही
नजरे नीची किए, बैठी हुई....
मुझे देखना चाहता है हर कोई....
क्या यह शास्वत सत्य सच ? वैसे चित्रण बहुत ही शानदार सच .
कहाँ हैं आप ?
Man ke bhaavon ki sundar abhivyakti.
Think Scientific Act Scientific
बेहद सुन्दर भाव उससे बढिया शब्द ............और एक बेहद खुबसूरत रचना.........
सार्थक अभिव्यक्ति
इष्ट मित्रों एवम कुटुंब जनों सहित आपको दशहरे की घणी रामराम.
where are you dear?
masla bahut achcha hai par mukable me rachna kuchh kamjor hai. maaf kijiye.
बहुत सुन्दर रचना...
pls visit....
www.dweepanter.blogspot.com
क्या हूं मैं....क्या नाम है मेरा,
जब भी पूछता है कोई;
कुछ भी जवाब नही आता जुबां पर...
क्यों कि ...बेगाना लगता है हर कोई...
Waah!
Holi kee anek shubhkamnayen!
Ramnavmiki anek shubhkamnayen!
अरुणा जी बहुत दिन विश्राम दे लिया लेखनी को । आपके नयी रचना की प्रतीक्षा में ।
सुन्दर भाव !
एक खुबसूरत रचना.........
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