तो...ग्रसित है हम हरदम,
किसी न किसी समस्यासे...
एक का समाधान होता है या नहीं होता तो,
दूसरी सामने आ कर खडी हो जाती है...अचानक्?
अचानक ही नहीं; कभी आने की खबर भी देती है,
कभी 'चैलेंज' का रुप धर कर्,
आमंत्रित मेहमान बनकर भी आती है.....
तो..ग्रसित है हम हरदम, किसी न किसी समस्यासे...
दम भरतें है हंमेशा हम, अपनी मजबूती का...
नारिएल की तरह्, उपर से मजबूत लेकिन्...
अंदर से खोखलापन लिए हुए....
जैसे तैसे हल निकाल भी लेते है लेकिन्...
कहां रुकता है उनका आना-जाना,
तो..ग्रसित है हम हरदम, किसी न किसी समस्यासे....
अकेले रहते हुए, समस्या है अकेलापन भी....
भीड में रहने पर चाहतें है अकेलापन.....
दोस्त भी समस्या उपहार में देते है कभी कभी....
धन की अधिकता भी तो समस्या है बडी....
खाली खिस्से तो उससे भी बडी समस्या है...
तो..ग्रसित है हम हरदम, किसी न किसी समस्यासे...
किसी न किसी समस्यासे...
एक का समाधान होता है या नहीं होता तो,
दूसरी सामने आ कर खडी हो जाती है...अचानक्?
अचानक ही नहीं; कभी आने की खबर भी देती है,
कभी 'चैलेंज' का रुप धर कर्,
आमंत्रित मेहमान बनकर भी आती है.....
तो..ग्रसित है हम हरदम, किसी न किसी समस्यासे...
दम भरतें है हंमेशा हम, अपनी मजबूती का...
नारिएल की तरह्, उपर से मजबूत लेकिन्...
अंदर से खोखलापन लिए हुए....
जैसे तैसे हल निकाल भी लेते है लेकिन्...
कहां रुकता है उनका आना-जाना,
तो..ग्रसित है हम हरदम, किसी न किसी समस्यासे....
अकेले रहते हुए, समस्या है अकेलापन भी....
भीड में रहने पर चाहतें है अकेलापन.....
दोस्त भी समस्या उपहार में देते है कभी कभी....
धन की अधिकता भी तो समस्या है बडी....
खाली खिस्से तो उससे भी बडी समस्या है...
तो..ग्रसित है हम हरदम, किसी न किसी समस्यासे...
9 comments:
जीवन है तो समस्या है. मैं तो मानता हूँ की जितनी बड़ी समस्या होगी सफलता भी उतनी ही बड़ी मिलेगी. हाँ, समस्या तनाव का रूप नही लेनी चाहिए. अच्छी अभिव्यक्ति.
बिल्कुत jayaka जी, समस्यायें तो सब्जी में मिर्च की तरह हैं. जैसे सब्जी में मिर्च जरूरी है, वैसे ही जीवन में समस्यायें भी जरूरी हैं.
अकेले रहते हुए, समस्या है अकेलापन भी....
भीड में रहने पर चाहतें है अकेलापन.....
दोस्त भी समस्या उपहार में देते है कभी कभी....
धन की अधिकता भी तो समस्या है बडी....
खाली खिस्से तो उससे भी बडी समस्या है...
तो..ग्रसित है हम हरदम, किसी न किसी समस्यासे...
सही कहा आपने ! जो हमारे पास नही होता हम उसी के पीछे भागते हैं ! जिस रोज समस्याए समाप्त हो जायेंगी ये जीवन भी समाप्त हो जायेगा ! यानि जीवन ही एक बड़ी खूबसूरत समस्या है ! रामराम !
...... गोया कि आदमी ही तो अपने-आप में इक समस्या है.. बेसिक फंडा तो आदमी ही है...बाकि सब तो उसके बाद ही है...और मजा यह कि आदमी सोचता है कि उसे चीजों के कारण समस्या है...ये भी तो इक समस्या है...हा..हा..हा..हा..हा..!!!
जब तक यह समस्या है जिनदगी रोचक है, सुहानी है,लेकिन धुप छांव की तरह ही सब होना चाहिये ना ज्यादा धुप, ओर ना ज्यादा छांव
धन्यवाद एक समस्या से भरी पोस्ट के लिये :)
बहुत रोचक लगी ये पोस्ट ! धन्यवाद !
बहुत अच्छी रचना !शुभकामनायें !
samasya sulzane ke liye hi hain n hum .
बहुत सही लिखा है. पूरक भी हैं.
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