मिल कर हमने..एक ज्योत जलाई...
अमावस की अंधेरी-काली रात...
मिल भी नहीं रही थी...
नजरों से नजरें...
थरथराते होंठो की झलक...
सिर्फ़ दिलसे,
महसूस कर रहे थे...
हम भी; तुम भी!
उजाले की .....
एक लकीर की भी...चाहत नहीं थी;
न हमें...न तुम्हें.....
फ़िर भी आंखे तरस रही थी...
अंधेरे को चीरने के लिए...
कुछ होने जा रहा था...
कुछ रुकावटें... पुर -जोश...
आधा अधुरा ही कुछ हुआ जूं ही....
बैचैनी के बढ़ते आलम के बीच...
फंसे हुए थे...हम भी; तुम भी!
अमावस की अंधेरी-काली रात...
मिल भी नहीं रही थी...
नजरों से नजरें...
थरथराते होंठो की झलक...
सिर्फ़ दिलसे,
महसूस कर रहे थे...
हम भी; तुम भी!
उजाले की .....
एक लकीर की भी...चाहत नहीं थी;
न हमें...न तुम्हें.....
फ़िर भी आंखे तरस रही थी...
अंधेरे को चीरने के लिए...
कुछ होने जा रहा था...
कुछ रुकावटें... पुर -जोश...
आधा अधुरा ही कुछ हुआ जूं ही....
बैचैनी के बढ़ते आलम के बीच...
फंसे हुए थे...हम भी; तुम भी!
फिर जलाई तुमने...
माचिस की एक तीली...
हडबडा गए हम भी अचानक से...
एक कागज़ का तुडा-मुडा टुकड़ा...
सटाया हमने, उस जलती लौ से...
आग की एक लपट ...
फ़िर धुँआ धुँआ !
फ़िर सहम कर संभल गए.....
हम भी; तुम भी!
फ़िर होठों पर हलकी सी मुस्कान लिए...
उस पल...उम्र भर साथ निभाने की...
वो कसमें...तहे दिलसे...
देर तक खाते रहे.....
हम भी, तुम भी!
7 comments:
बहुत ही सुनदर कविता.
धन्यवाद
यह महज कविता नहीं है। एक पूरी तस्वीर ही लिख दी आपने। आपकी लेखनी को सलाम। वक्त निकालकर कभी ईमेल भी करिए।
Wah..wa
bahut pyari kavita
badhai...
or haan
मित्रवर,
नमस्कार.
मेरे ब्लाग 'हास्य कवि दरबार' पर आपकी टिप्पणी पढ़ कर आपकी सदाशयता से अभिभूत हूं.
परन्तु आपकी जानकारी के लिये निवेदन है कि
यों तो मेरे पांच ब्लाग है लेकिन मैं केवल तीन ब्लाग्स को ही निरन्तर अपडेट कर पा रहा हूं.
इसलिये यदि आप मेरे निम्न ब्लाग्स पर भ्रमण करेंगें तो मेरी जानकारी में रहेंगें और संवाद बना रहेगा
योगेन्द्र मौदगिल डाट ब्लागस्पाट डाट काम
yogindermoudgil.blogspot.com
हरियाणा एक्सप्रैस डाट ब्लागस्पाट डाट काम
haryanaexpress.blogspot.com
कलमदंश पत्रिका डाट ब्लागस्पाट डाट काम
kalamdanshpatrika.blogspot.com
निम्न दोनो ब्लाग्स अभी अपडेट नहीं कर पा रहा हूं
हास्यकविदरबार डाट ब्लागस्पाट डाट काम
hasyakavidarbar.blogspot.com
यारचकल्लस डाट ब्लागस्पाट डाट काम
yaarchakallas.blogspot.com
शेष शुभ
आशा है आप उपरोक्त तीनों ब्लाग्स ही पढ़ेंगें
साभार
-योगेन्द्र मौदगिल
मिलकर एक ज्योत जलाई उस पल..... उम्रभर साथ निभाने की वो कसमें... तहे दिलसे खाई...हमने भी, तुमने भी!
वाह !
Surekh Kavita
aha! charo or ujala ho gya. narayan narayan
एक उम्दा रचना
धन्यवाद जो आप मेरे ब्लॉग पैर पधारे
आप के ब्लॉग पर आ कर मुझे खुशी हुई
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