a href="http://hindiblogs.charchaa.org" target="_blank">हिंदी चिट्ठा संकलक

Friday 23 July 2010

अंतर है...उनमें और हम में...

लिखतें है वे भी...लिखतें है हम भी...

अब वे टिम-टिम नही, ट्विट-ट्विट करते है...
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है!

हिंदी फिल्मों में अभिनय करते है, तो क्या हुआ?
भारत में भी रहते है...तो क्या हुआ?
विदेशों की सैर..फिल्म की शूटिंग के बहाने ही सही....
करते है..तो क्या हुआ?
यह तो देश का गौरव है,और इसीलिए वे ...
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है !

भारत देश प्यारा है उन्हें भी...
देश-प्रेम की कहानियाँ, रुपहले परदे पर....
हिंदी का दामन थाम कर....
इंग्लिश धुन में गा-बजा कर...
पेश करतें है वे, सोच समझ कर... और इसीलिए
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है!

कुछ सितारे यहाँ आए ...परदेश से...
हिंदी की स्वादिष्ट रोटी,खाने के इरादे से....
हिंदी भाषा का अल्प ज्ञान समेटे ....
देखिएं !..हिंदी फ़िल्में हिट करते है ये...
टूटी फूटी हिंदी में...बतियाते है ये...फिर भी...
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है!

महा धुरंधर, पुराने.....कलाकार मंजे हुए...
भारत और विदेशों में...प्रसिद्धि पाए हुए...
हिंदी कविताएँ..रचतें और पढ़तें हुए...
बचपन और जवानी गुजर गई जिनकी...
हिंदी भाषा की धुल-मिटटी में खेलतें हुए...वे भी
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है....

आप और हम ....तारे है जमीं के...
यहीं पर जन्मे हम...वारिस है हम भारत भूमि के...
हम लिखते है, पढ़तें है...कायल है हिंदी भाषा के...
करतें है आदर ....इंग्लिश भाषा का हम भी ....

पर ऐसा काम हरगिज नहीं करतें... कि
ब्लॉग हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लिखतें है !



Tuesday 6 July 2010

दूरियां बढाती है, आपस का प्यार!


पास आने से मिलती है खुशियाँ...
आपस की सुख- दुःख की बातों कों...गुन-गुनातें हुए...
कह-कहें लगातें हुए...
आँखों में आंसू भर कर...
बिना शब्दों के ही....
सुनने-सुनानेका लंबा सिलसिला!


कुछ लक्ष्य को पाने की बातें...
कुछ ध्येय की चर्चाएँ...
कुछ रास्तें की रुकावटें...
कुछ विजय हासिल करने की गाथाएं...
कुछ अपनी आदतें...
कुछ अपनों की आदतें....
सुनने-सुनाने का लंबा सिलसिला!

इस हप्ते सैर हुई कहाँ की...
कैसी थी जगह..कैसे थे लोग!
भाई मिलने आया था या दीदी...
आज खाने में आया था मजा...
या खानेका मजा हुआ था किरकिरा...
पत्नी उदास थी या रूठे हुए थे पतिदेव..
और भी बहुत कुछ चटाकेदार, धमाकेदार...

...सुनने सुनाने का लंबा सिलसिला...


  ज्यादा नजदीकियां भी...डालती है रंग में भंग...
याद आते है पुराने शिकवे-गिले...
तू-तू...मैं-मैं ...हुई थी...
पिछली बार जब हम थे मिले....
अब बेहतर होगा चुप रहना...
बहुत कुछ कहने के बाद मौन धारण करना...
आँखों से झलकते नाराजगी के इशारें...
और फिर मिलने का वादा..और चलने की तैयारी...
फिर अगले अंक की प्रतीक्षा...
और जारी रहता...वो प्यारा प्यारा
सुनने- सुनाने का लंबा सिलसिला!


आपसी प्रेमभाव बढाने की दिली ईच्छा...
जब जब भी जाग उठे मनमें...
थोडीसी दूरी का दु:ख सहना होगा...
मिलन को मंगलमय 'गर हो बनाना...
कुछ समय...कुछ दूरी को अपनाना होगा...
इन्तजार करने...करवाने में भी है एक मज़ा...
यूँ ही नहीं जीवन-रस कानों में घोलता...
सुनने-सुनाने का लंबा सिलसिला!