यह कविता मेरे पति 'पृथ्वीराज कपूर ' की लिखी हुई है... यहाँ प्रस्तुत है!
फूल की किस्मत !
एक गुलज़ार में...
एक माली ने सींचा...
गुलाब का सुंदर सा एक पौधा...
उस पर खिले दो सुंदर फूल...
देखिए एक फूल की किस्मत...
उसे भगवान के चरणों में मिली जगह...
उसे हमने माथे से लगाया...पूज्य समझा॥
दूसरे फूल की किस्मत भी देखिए...
उसे शव को अर्पित किया गया...
शव का फूल समझ कर...
उसे हमने पाँव तले रौंदा ....
दोनों फूलों ने हमसे पूछा...
हे!..इंसानों, क्या गलती थी हमारी?
जो हमें...ऐसा...
अलग, अलग, ...भविष्य मिला?
--- पृथ्वी "काल्पनिक"
फूल की किस्मत !
एक गुलज़ार में...
एक माली ने सींचा...
गुलाब का सुंदर सा एक पौधा...
उस पर खिले दो सुंदर फूल...
देखिए एक फूल की किस्मत...
उसे भगवान के चरणों में मिली जगह...
उसे हमने माथे से लगाया...पूज्य समझा॥
दूसरे फूल की किस्मत भी देखिए...
उसे शव को अर्पित किया गया...
शव का फूल समझ कर...
उसे हमने पाँव तले रौंदा ....
दोनों फूलों ने हमसे पूछा...
हे!..इंसानों, क्या गलती थी हमारी?
जो हमें...ऐसा...
अलग, अलग, ...भविष्य मिला?
--- पृथ्वी "काल्पनिक"