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Monday 31 December 2007

यादें..चंद हसीन लम्हों की!

यादें..चंद हसीन लम्हों की!


आ गए है एक ऐसी जगह कि....
रास्ते सभी बंद नज़र आ रहे है !
पीछे भी नही मुड़ सकते अब तो,

यहीं कबसे रुके हुए है!

यह एक मकान है ऐसा,
न यहाँ खिड़की है न दरवाज़ा कोई...
है अजीबसी खुशबू का एहसास,
मानों कोई बहका रहा है!

मीठी आवाज़ की गुन-गुनाहट,
कौन घोल रहा है कानों में...
छू कर जा रही है सर्द हवाएँ,
न जाने ऐसा क्या यहाँ है!

ये हमें रोकने की कोशिश है,
या कुछ कहने का फरमान?
या हमसे कुछ पाने की उम्मीद,
...लिए ही कोई यहाँ है!

क्या कुछ छिन लेगा कोई हमसे...
चंद हसीन लम्हों की,
मीठी, गुद-गुदाती यादों के सिवा...

पास कुछ भी तो नहीं हमारें,

इन्हीं यादों के सहारे तो'ऐ दोस्त!
हमें उम्र यहाँ गुजारना गवां है!

Thursday 27 December 2007

जहाँ महक हो...गुलाबों की!

जहाँ महक हो...गुलाबों की!


जाना है मुझे एक ऐसी जगह,
जहाँ महकते गुलाब की वादियाँ हो...
पर, पावोंमे चुभन जगाती,
कंटीली झाडियाँ न हो!


कंटीली
झाडियों में चल कर,
अब तक सफर किया है मैंने...
छाले पड़ गए है पावों में फिरभी,
चलना ज़ारी रखा है मैंने...

फूलों की दिलफेंक मुस्कान पर,
दिल न्यौछावर किया है मैंने...

दर्द भरी आह को, दिल के अन्दर ही,
अब तक दबा रखा है मैंने...
और..पंछियों की चहक पर,

अपना ध्यान दिया है मैंने...
ठंडी हवाओं के थपेडों के साथ भी,
समझौता किया है मैंने...


पर, अब और नहीं कुछ कहना ...
न ही किसी दर्द को सहना....
सब दु:खों से पीछा छुडा कर,
पहुँचाना है एक ऐसी जगह,
...जाना है मुझे एक ऐसी जगह,



जहाँ फूल तो महकते हो गुलाब के,
पर, कांटें कोई न हो...
हवाओं में नरमी हो..गरमी हो,
पर हाय! कंटीली झाडियाँ न हो!


Sunday 9 December 2007

ताजमहल बनाया था,मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने....

ताजमहल बनाया था, मुग़ल बाद्शाह शाहजहाँ ने.......

...आइये। हमारे भारत में आइये..जब आओगे तो भी जरूर! यहाँ बहुत कुछ देखने के लिए है। दिल्ली का लाल किला, पुराना किला, अप्पुघर, राष्ट्रपति भवन, मुग़ल गार्डन , जंतर-मंतर, इंडिया-गेट वगैरा वगैरा ....तो हुआ दिल्ली का घुमाना-फिरना!

अब आप को अगर ताजा-महल देखना है , तो आगरा जाना ही पड़ेगा हाँ! ताज-महल के बारे में अब तक आप इतना कुछ जान चुके होंगे कि ...बस! ताज-महल देखना ही बाक़ी रह होगा, है न?

...आप कहाँ रहेते है? अमेरिका, लंदन, पैरिस, चाइना, ऑस्ट्रेलिया या आफ्रिका? .... या इंडिया में ही रह रहे है , पर अब तक ताज-महल नहीं देखा! अगर ऐसा भी है, तो भी कोई बात नहीं। अब तो मौसम इतना खुश-गवार है कि आप को ताज कि सैर करने मैं इतना मज़ा आयेगा कि आप सोच भी नहीं सकतें!

मैं अभी अभी तो ताज-महल कि सैर से लौट आई हूँ! यह महल शाहजहाँ से अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था। यह अमर प्रेम का प्रतीक है। आगरा जब आप आएंगे, तो -पुर सिकरी भी जरूर जाइएगा। यहाँ के महल की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। यहाँ आने पर तो आपके मन कि मुराद भी पूरी हो सकती है। तो देर किस बातकी? ... आइये और देखिए ताज-महल! दुनिया के सात अजूबों में से एक ताज-महल!

Friday 7 December 2007

Are you going to marry some one?

Marriage and English....good combination!


Oh! it's very nice of you. You are going to do very handsome job. Marriage is a very good happening of your life... so don't wast your time and makae hast.....go in search of beautiful bride or hansome groom!

But... stop dear! you are going to marry a girl or boy from Britain? ... no,no,no,no... I am very sorry...beacause you don't know English. English knowing is must! It is new rule for out-country- siders.

The BRITISH Home Office will introduce a English language test for those either planning to marry a Britain based person or already married and want to live with spouse in the country. this rule will be implemeted very soon...in 2008.

BRITISH Immigration Minister Liam Byrne says " speak English, obey the law and make sure that you're paying your taxes like the rest of us. If we are serious about English, Should't we give these individuals a flying a start in the UK by asking them to speak English from the day they arrive?"


So this the new situation ... but worry not,....If you don't want to seat idle at home, want to go to LONDON and your dream girl is waiting for you over there.....go and join Enlish Learnig Classes....make hast!

Monday 3 December 2007

Kharidane hai...kuchh khilaunen,kuchh dresses

खरीदने है...कुछ खिलौनें, कुछ ड्रेसीस्!

... कल ही दोपहर दो बजे की एयर- इंडिया की फ्लाइटसे मै मुंबई जा रही हूं.अपनी सहेली घर पर जा रही हूं...उसके बेटे रौनक का बर्थ्-डे है.

...अभी तो यहां शाम का समय है. ठंड बढती ही जा रही है....ये दिल्ली है! दिल्ली की ठंड तो बड़ी ही खुशनुमा होती है...पर इस खुशनुमा ठंड के आंचल से निकल कर, कल तो किसी भी हालत में मुझे मुंबई पहुंचना ही है

...अब क्या गिफ्ट खरीदूं कि सात बर्षिय रौनक को पसंद आए? कुछ खिलौने या कुछ ड्रेसीस...या फिर दोनों! बस एक मॉल से अब दूसरे मॉल में आ गई हूं.काश कि मैने किसीको अपने साथ ले लिया होता...खरीदारी के बारे में कुछ हेल्प तो हो ही जाती...उफ़्!

..मेरे सामने कितना कुछ है...सभी चीजें अच्छी लग रही है, यही तो मुसीबत है..अब मै क्या लूं और क्या न लूं! कुछ तो खरीदना ही है मुझे....